Tuesday 1 January 2013

जीवन से जैन बनो, जीवन से जैन बनो


तन से जैन बनो
मन से जैन बनो
धर्म-कर्म में आगे रह कर
धन से जैन बनो
_____जीवन से जैन बनो 

_____जीवन से जैन बनो

मानव बन कर जग में आये, ये है भाग्य तुम्हारा
जैन के घर में जनम मिला है, ये सौभाग्य तुम्हारा
किन्तु केवल जन्म से कोई श्रेष्ठ नहीं हो जाता
असल चीज़ तो कर्म है भैया, जो दर्पण दिखलाता
सत्कर्मी और सत्संगी दिन रैन बनो
नूर किसी की आँख का बन कर, दिल का चैन बनो
_____जीवन से जैन बनो 

_____जीवन से जैन बनो


रेशम की पोशाक पहन कर महफ़िल में इतराते
सिगरेट पीते, गुटखा,  तम्बाकू का पान  चबाते
लहसुन, प्याज़ व आलू के सेवन से न शरमाते
नियम को रख के ताक पे जो हैं रात में खाना खाते
कह दो उनसे साफ़ साफ़ मत घैन बनो
मर्यादा में रहना सीखो,  जेंटलमैन  बनो 

_____जीवन से जैन बनो 
_____जीवन से जैन बनो

-अलबेला खत्री


( यह गीत श्री मुछाला महावीर  सोशियल ग्रुप द्वारा संघपति श्रीमती मोहिनी बाई देवराजजी खांटेड़ के ममतामय नेतृत्व  में गिरनार यात्रा के समय रचा  व प्रस्तुत  किया गया ) 


Sh. Gautam D. Jain










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